जन जन की पहचान है "दस्तक"
आज के समाज का आईना है "दस्तक" ,
हर मन की आवाज़ है "दस्तक" ,
छू जाये जो मन को वो ऐसी झंकार है "दस्तक" ,
बुझे हुये मन का जीवन है "दस्तक".
नारी के मन का अभिमान है "दस्तक".
"दस्तक"
कवियत्री पूजा रत्नाकर के द्वारा "दस्तक " में हमारे समाज में होने वाली तरह तरह की बुराइयों व उनको बढ़ावा देने वाले लोगो पर प्रहार किया है। एक मार्ग बताया है जो हमें पशु से इंसान कहलाने में हमारी मदद करता है। मानव के अंतर् मन की बात को समाज के पटल पर लाने का जो काम कवियत्री पूजा रत्नाकर के द्वारा किया गया है वो वास्तव में सराहनीय है। जिसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी काम है।
मित्रो "दस्तक" भारत में ही अपितु दूसरे देशों में भी धीरे - धीरे अपनी पहचान बना रही है। यह यह पहचान मात्र पूजा जी की नहीं वरन हमारे देश की बन रही है।
"दस्तक" किसी परिचय की मोहताज नहीं है, वह अपने नाम से ही जानी जाती है। आईये हम इसको और भी मशहूर करें बल्कि कोसिस करें की यह पुस्तक देश के हर घर में हो। हम चाहते है की यह पुस्तक हम अपनी आगे आने वाली पीढ़ी को एक उपहार के रूप में भेंट करें और उनको अपने संस्कार और भारत की संस्कृति के बारे में अवगत कराएं। "दस्तक" में हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ जरूर है। एक बार इसको जरूर पढ़ें और अपने आप महसूस करें की वास्तव में कवियत्री पूजा रत्नाकर के द्वारा "दस्तक " में मन की पीड़ा को अपने सरल शब्दों में अंकित किया गया है।
दस्तक अपने नाम के जैसे ही अपना काम कर रही है। यह पुस्तक स्टोरी मिरर व अमेज़ॉन पर उपलब्ध है जिसको आप काफी डिस्काउंट के साथ मगा सकते है।
अब आप कवियत्री पूजा रत्नाकर जी नवीन रचनाओं को उनके निजी ब्लॉग /वेबसाइट "मेरी कविता" पर भी जाकर पढ़ , देख व् सुन सकते हैं और आनंद उठा सकते हैं उनकी बेहतरीन व् समाज को एक नहीं दिशा देती हुयी शब्दों की माला जो हमें वास्तव में असल जीवन का मतलब समझाती हैं।
अब आप कवियत्री पूजा रत्नाकर जी नवीन रचनाओं को "मेरी कविता" के ऑडियो , वीडियो के स्टोर , सेक्शन/ पेज पर भी जाकर पढ़ , देख व् सुन सकते हैं और आनंद उठा सकते हैं।
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धन्यवाद आप सभी का, यदि आप "दस्तक" के बारे में कुछ भी जानना चाहते है अथवा पुस्तक को मांगना चाहते है तो आप हमें कभी कॉल मेल कर सकते हैं अथवा "मेरी कविता" के कांटेक्ट अस के पेज पर जाकर संपर्क कर सकते हैं।
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