रिजल्ट बनाने के लिए नई कंपनी फाइनल करने से पहले ट्रायल हो, पुरानी पर कराएं एफआइआर - Silver Screen

रिजल्ट बनाने के लिए नई कंपनी फाइनल करने से पहले ट्रायल हो, पुरानी पर कराएं एफआइआर

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ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय में परीक्षा परिणाम बनाने के लिए नई कंपनी के लिए लाई जा रही निविदा फाइनल करने से पहले कंपनी का ट्रायल लिया जाए। खरा उतरने पर ही कंपनी को रिजल्ट बनाने का काम सौंपा जाए। साथ ही परीक्षा परिणामों में देरी और त्रुटियां करने वाली पुरानी कंपनी के खिलाफ एफआइआर कराई जाए और उसे ब्लैक लिस्टेड किया जाए। यह सब मांग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधियों ने बुधवार को कुलसचिव डॉ.आइके मंसूरी और परीक्षा नियंत्रक एसकेएस सेंगर के सामने रखी हैं। कुलसचिव ने इन मांगों को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताकर कार्यपरिषद की बैठक में प्रस्ताव रखने का आश्वासन दिया।
विद्यार्थी परिषद ने रिजल्ट समय पर न आने के कारण छात्रों को हो रही परेशानियों को लेकर प्रदर्शन किया था। इस दौरान अधिकारियों ने समस्या निराकरण के लिए 9 सितंबर तक का समय मांगा था। इस बीच ईसी की विशेष बैठक में पुरानी कंपनी को हटाकर नया टेंडर निकालने की सहमति बन गई, लेकिन कंपनी के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई का प्रस्ताव नहीं आया। छात्र संगठन का प्रतिनिधिमंडल इसी को लेकर कुलसचिव से मिलने गया था। शुरुआत में घेराव की स्थिति बनी, लेकिन बाद में कुछ छात्र नेता कक्ष में पहुंचे और चर्चा की। कुलसचिव ने नई कंपनी का टेंडर करने के लिए 22 सितंबर तक प्रक्रिया पूरी होने की बात कही है। इस पर छात्रों ने कहा कि 22 तक प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो 23 सितंबर को फिर छात्र हित में यह मांग उठाई जाएगी।

एफआइआर तक जारी रहेगा आंदोलन
प्रतिनिधि मंडल ने महानगर मंत्री अमन वैशांदर की अगुवाई में अपनी बात रखी। इस दौरान वैशांदर ने कहा कि छात्रों का भविष्य गर्त में धकेलने वाली कंपनी के खिलाफ एफआइआर और ब्लैक लिस्ट किए जाने की कार्रवाई होने तक आंदोलन जारी रहेगा। एफआइआर की बात वीसी के समक्ष रखी जाएगी।


इन बिंदुओं पर हुई चर्चा
-कंपनी द्वारा मॉड्यूल के अंतर्गत किया गया काम संतोषजनक नहीं रहा है, समय से परीक्षा परिणाम और मार्कशीट आदि उपलब्ध नहीं करा पा रही है। इससे छात्रसंघ धरना, प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे हैं।
-अकादमिक सत्र संचालन में विलंब हो रहा है और विवि की छवि धूमिल हो रही है।
-जून में हुई कार्यपरिषद में भी नई कंपनी के लिए टेंडर की बात हुई थी, लेकिन उस समय वर्तमान एजेंसी से सामंजस्य बैठाने के नाम पर मामला टाल दिया गया।
-कुलपति ने सभी को बताया कि अब शासन स्तर से प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम लागू करने के साथ एक ही कंपनी का चयन होगा। इस विषय को लेकर उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से चर्चा हुई है।
-पूरे प्रदेश में व्यवस्था लागू होने से पहले एक साल परीक्षा संबंधी कार्यों को पूरा कराने के लिए नया टेंडर निकाला जाएगा।
-परीक्षाओं को समय से कराने और परीक्षा परिणाम भी समय से घोषित कराने की जिम्मेदारी परीक्षा नियंत्रक की है।



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