ग्वालियर. अभी तक अधिकारियों द्वारा सुनवाई नहीं होने की बात पार्षदों द्वारा कही जाती थी लेकिन अब तो सभापति भी यह बात कह रहे हैं। बुधवार को अमृत कार्यों में गड़बड़ी एवं अधूरे कार्य पूर्ण नहीं होने पर जब महिला पार्षदों ने आसंदी का घेराव किया तो सभापति ने कहा कि अमृत के लिए जांच कमेटी गठित की है वह रिपोर्ट देगी उसके बाद ही कार्रवाई की जाएगी लेकिन पार्षद जवाब मांग रहे थे। इस पर सभापति ने कहा अधिकारी आसंदी की भी नहीं सुन रहे हैं इसीलिए तो समिति का गठन किया है वह पता करेगी कि आखिर क्या बात है कि अधिकारी ऐसा क्यों कर रहे हैं।
परिषद की कार्रवाई शुरू होते ही वंदना अरोरा ने कहा कि उनके वार्ड में पानी की किल्लत है। पानी की लाइन एवं टंकी का निर्माण किया जाना है लेकिन बार-बार परिषद में ठहराव प्रस्ताव के बाद भी कार्य शुरू नहीं किया गया है, जबकि विधायक के भाई द्वारा एक लाइन डलवा दी गई और उसका शिलान्यास भी कर दिया गया। उन्होंने कहा कि आखिर किस हैसियत से विधायक के भाई ने शिलान्यास किया है और बार-बार कहने के बाद भी अधिकारियों ने हमारी समस्या का समाधान क्यों नहीं किया।
सभापति राकेश माहौर ने उन्हें समझाया कि अमृत के लिए जो समिति का गठन किया है उसकी रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। वंदना अरोरा नहीं मानीं और आसंदी के सामने धरने पर बैठ गईं। उनके साथ शिल्पा मेहरबान सिंह, सीमा धर्मवीर राठौर, राजकुमारी संतोष भारती, सपना सुजीत नरवरिया, अनीता जगराम सिंह भी धरने पर बैठ गईं। इस पर सभापति ने पहले 5 फिर 10 मिनट के लिए परिषद को स्थगित की।
एक दूसरे पर जड़े आरोप
भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे पर जमकर आरोप लगाए। भाजपा पार्षदों ने कहा कि 6 महीने में परिषद बदल गई है, जनता परेशानी है गरीबों को खाद्यान्न नहीं मिल रहा इस पर कांगे्रस ने कहा कि साढ़े चार साल की अव्यवस्थाएं सुधरी हैं लोगों को अब खाद्यान्न मिल रहा है।
"धरने पर महिला पार्षद"
महापौर को है समिति गठन का अधिकार
पार्षद बलवीर तोमर ने अमृत के तहत किए जा रहे कार्यों में गड़बड़ी की बात कही इस पर सभापति ने कहा चर्चा हो चुकी है और समिति गठित कर दी है जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। इस पर तोमर ने कहा समिति क्या करेगी, समिति गठन करने का अधिकार तो सिर्फ महापौर को है। बाद में भी उन्होंने समिति के गठन का विरोध किया।
कठोर निर्णय लेना पड़ेंगे
धर्मेन्द्र राणा ने परिषद के अधिकारों के बारे में सभापति को बताया। उन्होंने कहा कि अधिकारी निगम एक्ट के तहत पहले परिषद के लिए जिम्मेदार हैं और इसके लिए ही उन्हें कार्य करना चाहिए। निगम पर कलेक्टर हावी हो गए हैं। इसके लिए सभापति को कठोर निर्णय लेना होंगे और इसकी सूचना राज्य शासन को भेजना होगी।
"विरोध करते कांग्रेसी"
ईको ग्रीन पर हंगामा
बृजेश गुप्ता ने कहा ईको ग्रीन कंपनी के आने से सफाई व्यवस्था ध्वस्त हो गई है, वार्ड में गाडिय़ां नहीं आतीं। चर्चा के बीच में ही गीता राजेन्द्र सिंह दंडौतिया ने आसंदी घेर ली और कहा कि अमृत में जो कार्य रुके हैं वह कब तक पूरे होंगे इसका जवाब चाहिए। हंगामा शांत नहीं हुता तो सभापति ने 2 अगस्त तक बैठक स्थगित कर दी।
शक्तियों का नहीं किया उपयोग
अध्यक्ष ने अपनी शक्तियों का कभी उपयोग नहीं किया। निगम की धारा 18 क 2 कहती है कि अगर 3 महीने में परिषद के ठहराव या आदेश पर कार्रवाई नहीं होती है तो सभापति उन्हें परिषद में एजेंडे में शामिल कर उनका निष्पादन कराएं और दोषी निगम अधिकारियों पर करें।
कृष्णराव दीक्षित, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम
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