अफगानिस्तान और तालिबान के बीच क्या कभी खत्म होगा संघर्ष? - Silver Screen

अफगानिस्तान और तालिबान के बीच क्या कभी खत्म होगा संघर्ष?

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नई दिल्ली। बीते कई सालों से तालिबान और अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ता जारी है। मगर हर बार ये किसी न किसी कारण से कामयाब नहीं हो पाती है। एक साल पहले युद्ध विराम के दौरान अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान लड़ाकों ने ईद का त्योहार मनाने के लिए अपने हथियार छोड़ दिए थे। इसके बाद से अब तक सारी शांति वार्ता की पहल नकाम रही है।

जून 2018 में तीन दिन के लिए दोनों गुट एक दूसरे के करीब आए, गले लगे और सेल्फ़ी ली। इस घटना ने शांति समझौते की प्रक्रिया को शुरू करने में मदद की और अब ये काफ़ी आगे बढ़ चुकी है। विद्रोहियों से मिलने वालों में नानगरहर प्रांत के तत्कालीन गवर्नर हयातुल्ला हयात भी शामिल थे। हयात पर पहले कई हमले हो चुके हैं। इन हमलों में वे बाल-बाल बच गए, मगर उनके 50 सहयोगी मारे गए।

पिछले पांच साल में इन संघर्षों में अफगान सुरक्षा बलों के 45,000 से अधिक सदस्य मारे जा चुके हैं। लेकिन एक बड़े हॉल में हयात और उनके साथियों की दर्जनों तालिबान लड़ाकों से मुलाकात हुई, जो उन्हें गले लगाने के लिए कतार में खड़े थे। इन्हीं में एक युवा लड़ाका था जिसने संभावित गिरफ़्तारी से बचने के लिए अपना ख़ंजर रख लिया था। हालांकि उन्हें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अगर गवर्नर से आज मुलाक़ात हो तो वो क्या करेंगे, "अगर हमारे नेता इजाजत देंगे तो हम उनका स्वागत करेंगे. लेकिन अगर वो कहेंगे तो मैं लड़ूंगा।"युद्धविराम के कुछ समय बाद ही तालिबान और अमरीका के बीच कतर में शांति वार्ता शुरू हो गई। यहां तालिबान का राजनीतिक कार्यालय है।

अभी तक विद्रोहियों ने अफ़ग़ान सरकार के किसी नुमाइंदे से मिलने से इनकार किया है क्योंकि वे उन्हें कठपुतली कह कर खारिज करते हैं। उस समय पूर्वी शहर जलालाबाद में तालिबान लड़ाकों और सरकारी अधिकारियों के संयुक्त जुलूस की उन्होंने अगुवाई की थी। उन्होंने बहुत गर्व के साथ मुझे बताया, "हमने 230 तालिबान सदस्यों की मेजबानी की और जब वे हमारी जगह आए तो उनमें से किसी की तलाशी नहीं ली गई।"

 



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