इस्लामाबाद। बीते दिनों अमरीका दौरे से स्वदेश लौटे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बड़ा बयान दिया। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नसीहत को याद रखते हुए इमरान खान ने यह माना कि पाकिस्तान में अभी भी 30-40 हजार आतंकी मौजूद हैं। इमरान खान का यह कबूलनामा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को लेकर पाकिस्तान कितना फिक्रमंद है इसे दर्शाता है।
इतना ही नहीं, अमरीका में ट्रंप के साथ उन्होंने कश्मीर विवाद पर मध्यस्थता की भी बात की और इस बात को जोर देकर कहा कि भारत की ओर से कश्मीरियों पर जो जुल्म किया जा रहा है उसका समाधान किया जाए। हालांकि कश्मीर पर भारत का किया विचार हमेशा से रहा है ये पूरी दुनिया जानती है।
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बहरहाल, अमरीका में इमरान खान ने ट्रंप के साथ कश्मीर विवाद और आतंकवाद को लेकर जो भी दलीलें दी, उसको लेकर कुछ सवाल खड़े होते हैं। आखिर इमरान खान ने आतंकवाद को लेकर कबूलनामा क्यों किया? कश्मीर विवाद को ट्रंप के सामने क्यों उठाया?
पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था
दरअसल, मौजूदा हालात में पाकिस्तान की अर्थव्यस्था आजाद पाकिस्तान के इतिहास में सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। अमरीका समेत दुनिया के तमाम देशों की और से आर्थिक मदद रोक दी गई है। इतना ही नहीं विश्व बैंक ने भी पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद पर रोक लगाई है।
ऐसे में पाकिस्तान की अर्थव्यस्था बहुत खराब हो चुकी है। पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है। लोग खाने के लिए दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं। ऐसे में इमरान खान इस उम्मीद से अमरीका दौरे पर पहुंचे, जिससे अमरीका पाकिस्तान की आर्थिक मदद को फिर से शुरू कर दे।
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इसके लिए इमरान खान पूरी दुनिया को यह दिखाना चाहते हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। यही कारण भी है कि अमरीका जाने से पहले अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित हो चुके हाफिज सईद को गिरफ्तार भी करवा दिया।
इमरान खान ऐसे बयान और क्षणिक कार्रवाई करके अमरीका समेत उन देशों को खुश करने का प्रयास कर रहे हैं जिनसे आर्थिक मदद मिलती है। यदि आर्थिक मदद मिलना पूरी तरह से बंद हो जाएगा तो पाकिस्तान में भूखमरी आ जाएगी।
कश्मीर विवाद पर इमरान का षड़यंत्र
इमरान खान ने डोनाल्ड ट्रंप के सामने कश्मीर विवाद का मुद्दा उठाकर भारत को नीचा दिखाने की कोशिश की। लेकिन इमरान के आग्रह पर ट्रंप की ओर से मध्यस्थता को लेकर दिए गए बयान को भारत ने फौरन खारिज कर दिया। इससे इमरान खान के मंसूबों पर पानी फिर गया।
फिर भी यह सवाल तो उठता है कि इमरान खान ने ऐसा क्यों किया? दरअसल, इमरान खान को अच्छी तरह से पता है कि भारत कश्मीर विवाद पर किसी भी तीसरे पक्ष को मंजूर नहीं करेगा। ऐसे में इमरान खान ने पूरी दुनिया को यह दिखाने की कोशिश की कि पाकिस्तान कश्मीर विवाद का समाधान करना चाहता है लेकिन भारत इसमें अड़चन लगा रहा है।
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दूसरी बात इमरान खान सरकार को लेकर पाकिस्तानी आवाम बढ़ते असंतोष को दबाने और ध्यान भड़काने को लेकर कश्मीर विवाद पर इस तरह का बयान देना सबसे अच्छा तरीका है।
इमरान खान ने यह भी दुनिया को बताने की कोशिश की कि भारत कश्मीर के जरिए पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। लेकिन 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर पहले ही पाकिस्तान की पोल खोल दी थी। लिहाजा पूरी दुनिया को पता है कि कश्मीर में आतंकवाद कौन फैला रहा है और कहां से आतंकी आते हैं।
FATF की कार्रवाई
आतंकवादी और आतंकी संगठनों पर लगाम न लगा पाने को लेकर वित्तीय कार्रवाई कार्य बल ( FATF ) ने पाकिस्तान पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। FATF की कार्रवाई के डर से इमरान खान ने ऐसे बयान देने शुरू कर दिए हैं।
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FATF ने कहा है कि यदि पाकिस्तान आतंकवाद पर लगाम लगाने में नाकाम रहता है तो उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। अब यदि पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट हो जाता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और भी खराब हो जाएगी। किसी भी अंतर्राष्ट्रीय संगठन से आर्थिक मदद नहीं मिलेगा और न ही कोई देश सहायता कर सकता है।
लिहाजा इमरान खान ने आतंकवाद पर बयान देकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लडा़ई लड़ रहा है।
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