प्रथम पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजली स्व. श्री आशाराम कुशवाह
निर्वाण दिवस 14.02.2020 (1940-2020)
यूं तो मनुष्य इस संसार में अपने व अपने परिवार लिये बहुत कुछ करता है परन्तु कुछ लोग ही होते हैं तो समाज एवं दूसरे तबके के लोगों के लिये कुछ करने की हिम्मत रखते हैं। सामाजिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था से सीधे सवाल करते हैं, प्रश्न खड़ा करते हैं मौजूदा ढांचे की कार्य एवं सुरक्षा व्यवस्था पर जो कहीं न कहीं समाज में एक विषाक्त जीवाणु की तरह जो किसी व्यवस्था को खत्म किये जा रह है। ऐसे ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व के धनी स्व. श्री आशाराम कुशवाह जी थे जो ग्राम बेरजा, विकासखण्ड मुरार, जिला ग्वालियर में एक साधारण किसान परिवार में सन् 1940 में जन्मे थे। अथक परिश्रम और कठिनाईयों का सामना करते हुये उन्होंने अपने गाँव बेरजा में लोगों की मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखते हुये राजनीति में प्रवेश लेकर बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर, मुरार विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन विधायक श्री ध्यानेन्द्र सिंह एवं मायासिंह, विवेक शेजवलकर के साथ ग्रामीण क्षेत्र में उनके कदम-से-कदम मिलाकर ग्रामीण विकास के लिये कार्य किये। बेरजा गांव के लिये पक्की सड़क की मांग, गांव की छोटी नदी पर पुल बनाये जाने की मांग प्रशासन के समक्ष रखी जो कई साल बाद उनकी मांगों को स्वीकार कर शहर से गांव तक पक्की सड़क व उस पर पुल बनाया गया। फिर धीर-धीरे पंचायती राज में पंचायतों को अधिकार मिलने से गाँवों के विकास का रास्ता खुलता चला गया और श्री कुशवाह राजनीति में सक्षम लोगों से मुलाकात कर गाँव के लोगों की समस्याओं के निराकरण में भागीदारी निभाते जिससे उनकी छवि धीरे-धीरे आसपास के गाँवों में फैलने लगी और उनकी विचारधारा से लोग प्रभावित होने लगे और उन्होंने निम्नतम तबके के लोगों के लिये पेयजल की व्यवस्था गाँव में पानी की टंकी व घरों तक शासन व पंचायत के सहयोग से पाईन लाईन लगवाकर करने में की। गाँव में बैंक खोले जाने, टेलीफोन की व्यवस्था और पक्का पंचायत भवन की आधार शिला रखे जाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य श्री कुशवाह के द्वारा ही संभव हो सके। जहाँ पर भी किसी को जरूरत होती तो वे सबसे आगे बढ़कर जरूरतमंद का आपेक्षित सहयोग करते। उनकी समाज में इस प्रकार बढ़ती हुई प्रतिष्ठा से गाँव के कुछ लोग खुश नहीं थे तो हर समय उनकी छवि को धूमिल करने हेतु षड़यंत्र रचते रहते परन्तु उन्हें हर समय मुँह की ही खानी पड़ती।
आज वह हमारे बीच नहीं हैं परन्तु उनके द्वारा गाँव के विकास के लिये चाहे वह सड़क की बात हो, बिजली, पानी, स्वच्छता, स्थानीय साप्ताहिक हाट बाजार, आधुनिक शिक्षा, स्कूल भवन बनाने और अधिकारों की जो लड़ाई उनके द्वारा लड़ी गई है वह निश्चित रूप से हमारे लिये प्रेरणादायक है और वह ऐसा चाहते भी थे कि उनके बाद यह लड़ाई रूके नहीं चाहे सरकारी किसी की भी हो, एक जिम्मेदारी भारत का नागरिक होने के नाते आप सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करें, अगर कुछ गलत हो तो उसके विरूद्ध अपनी आवाज बुलंद करें, सामाजिक ढांचा तैयार करें और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करें शिक्षित बनाये तो निश्चित रूप से हमें कोई भ्रम में नहीं रख सकता है। हमारे अधिकारों का दमन नहीं कर सकता है। फिलहाल गाँव में पंचायती राज के नाम पर मात्र दिखावा हो रहा है आम आदमी के अधिकारों को कुचला जा रहा है और भ्रष्टाचार चरम पर है जिसे खत्म करने की आवश्यकता है जो शीघ्र ही ठोस कदम उठाये जायेगें और जिम्मदारों की जबाबदेही तय होगी। मैंने देखा है कि प्रशासनिक अधिकारी उनके आगे झुकते नजर आते थे और उनके तीखे सवालों से बचते नजर आते थे। 80 वर्ष की आयु में वह सांस की बीमारी के कारण दिनांक 14 फरवरी 2020 को उनका देहांत हो गया। उनके कुछ सपने थे जो हमें पूरा करना है और आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि हम उनके अधूरे सपनों को पूरा करेगे।
आज हम सभी उनके निर्वाण प्रथम पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजली अर्पित करते हैं।
मनोज कुमार सिंह (लेखक, Blogger)
श्री जगदीश सिंह कुशवाह पुत्रगण
एवं
अजय कुमार कुशवाह, डाॅ0 नरेश कुशवाह, ओमकेश सिंह कुशवाह, इंजी. मदन कुशवाह (पौत्रगण) समस्त कुशवाह परिवार
ग्राम बेरजा, रसीदपुर, भेला कलां, खुर्द, रतवाई, गोवई, सुपावली, केशवपुर, खुदरपुरा, बिल्हैटी एवं ग्रामीण विधान सभा के अन्य सभी गांव/मुरार शहर के समस्त गणमान्य नागरिकों की ओर से अश्रुपूरित श्रद्धांजली।
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