भारी संख्या में अमरीकियों ने किया मतदान, फैसले में हो सकती है देरी - Silver Screen

भारी संख्या में अमरीकियों ने किया मतदान, फैसले में हो सकती है देरी

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नई दिल्ली।

अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर लगी हुई है। ये ऐसे चुनाव हैं जिनसे बहुत कुछ बदलने वाला है। चेहरा बदलने पर भी और चेहरा कायम रहने पर भी। हालात ऐसे हैं कि कांटे की टक्कर रह सकती है। ये चुनाव जो बाइडेन और डॉनल्ड ट्रंप की किस्मत का फैसला करेंगे।


अमरीका के बुनियादी ढांचे की रक्षा करने वाली एफबीआइ और साइबरस्पेस इन्फ्रा स्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी ने मतदाताओं को आश्वस्त किया है कि वे चुनाव की व देश अखंडता की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं। हालात यह संकेत कर रहे हैं कि मेल-इन मतपत्र, बड़े पैमाने पर मतदान व महामारी के कारण राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम में देरी हो सकती है। सोशल मीडिया फिर से झूठे चुनावी दावों से आबाद है। माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि रूसी, चीनी और ईरानी हैकर्स ने चुनाव में शामिल लोगों और संगठनों को टारगेट किया है।

इस बीच, शेयर बाजार में गिरावट से ट्रंप के अभियान संदेश पर खतरा मंडरा रहा है कि वह एक आर्थिक सुधार ला रहे हैं जो जल्द ही एक उछाल बन जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन से व्यवसाय प्रभावित हुआ। व्यापक हिंसा और लूटपाट ने बहुत कुछ बदल दिया है।

विरोधाभासी संदेशों का विरोध

डेमोक्रेट्स का मानना है कि बाइडेन ने वाइट हाउस को फतेह करने और राष्ट्रपति ट्रंप को हराने के लिए पूरी ताकत झोंकी है। इधर, उम्मीदवारों ने कोरोना पर विरोधाभासी संदेशों का विरोध किया है, जिसने मतदान सहित अमरीकी जीवन के अधिकतर पहलुओं को प्रभावित किया है। बाइडेन के लाइट ट्रैवल शेड्यूल, कैम्पेन और डोर-नॉकिंग ऑपरेशन का इसमें अहम रोल है। वहीं ट्रंप ने एरिजोना में भीड़ भरी रैलियों का आयोजन कर शक्ति प्रदर्शन कर अपने जनाधार का प्रदर्शन किया।

कानूनी दांव-पेच का खेल शुरू

राष्ट्रपति चुनाव में इस बार कोरोना महामारी की वजह से पहले की तुलना में बहुत ज्यादा लोगों ने पहले ही या तो डाक से या ख़ुद जाकर मतदान कर दिया है। पोस्टल मतों की गिनती में ज्यादा वक्त लगता है, क्योंकि उनमें मतदाताओं की पहचान करने की प्रक्रिया पूरी करनी होती है। फ्लोरिडा और ओहायो जैसे कुछ राज्यों में पहचान की ये प्रक्रिया कई हफ्ते पहले से शुरू हो जाती है। लेकिन पेन्सिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन जैसे राज्यों में मतदान के दिन से पहले ये जांच प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति नहीं होती।

पहले ही कानूनी पेचीदगी शुरू हो गई

अमरीका में इस साल पहले ही कानूनी पेचीदगी शुरू हो गई हैं। एक चुनाव प्रोजेक्ट के अनुसार वहां 44 राज्यों में चुनाव कानून से जुड़े 300 कानूनी मामले दायर हो चुके हैं। राष्ट्रपति ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि हो सकता है कि चुनावी नतीजा सुप्रीम कोर्ट में जाकर निकले।

एक महीने से ज्यादा का वक्त लगा

वर्ष 2000 के चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार अल गोर फ्लोरिडा में केवल 537 मतों से हार गए, जबकि मतों की कुल संख्या 60 लाख थी। इसके बाद मतगणना को लेकर विवाद शुरू हुआ, इसके बाद मतों की दोबारा गिनती हुई जिसमें एक महीने से ज्यादा का वक्त लगा। आखिरकार मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। जिसने रिपब्लिकन उम्मीदवार के पक्ष में फैसला सुनाया और जॉर्ज डब्ल्यू बुश राष्ट्रपति बने।



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