इस्लामाबाद। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के मामले एक बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने बाजवा के तीन साल की सेवा विस्तार को रद्द करते हुए सशर्त 6 माह तक बढ़ाने की मंजूरी दी है। इस फैसले के बारे में तो आप जान गए होंगे, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि इस पूरी प्रक्रिया में खुद बाजवा भी शामिल थे। कोर्ट के फैसले से पहले हितों के टकराव या फिर कामकाज में नैतिकता जैसी बातों को किनारे रखते हुए पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा एक ऐसी बैठक में शामिल हुए जो मूल रूप से एक सरकारी बैठक थी और जिसमें खुद उन्हीं के मामले में फैसला लिया जाना था।
प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुलाई थी आपात बैठक
दरअसल, जनरल बाजवा को सेवा विस्तार देने के मामले में जारी एक नहीं बल्कि दो अधिसूचनाओं में इतनी खामियां थीं कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया। बाजवा के सेवा विस्तार मामले में सरकार के फैसले के रद्द होने की आशंकाएं बढ़ गई थीं और ऐसे में प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक और आपात बैठक बुलाई। आनन-फानन में बुलाई गई इस बैठक में जनरल के सेवा विस्तार पर तीसरी अधिसूचना पर विचार किया गया और इसे जारी करने पर सहमति बनी।
पाकिस्तान: सुप्रीम कोर्ट ने सेना प्रमुख बाजवा को दिया झटका, 3 साल के सेवा विस्तार को किया खारिज
सरकारी अधिकारियों के साथ पहली बार बैठक में बाजवा
इस बैठक में वरिष्ठ संघीय मंत्री शामिल हुए, पूर्व कानून मंत्री व अदालत में बाजवा का पक्ष रख रहे बैरिस्टर फरोग नसीम, महान्यायवादी अनवर मंसूर खान, प्रधानमंत्री के अटॉर्नी बाबर अवान शामिल हुए और इन सभी के साथ खुद बाजवा शामिल हुए। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बैठक के बाद कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी हुआ लेकिन इसमें बाजवा के पहुंचने ने ध्यान खींचा। यह अपने आप में काफी खास था क्योंकि सरकारी अधिकारियों की बैठक में उन्होंने पहले कभी हिस्सा नहीं लिया था।
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