काठमांडू। नेपाल की धरती से चीन के राष्ट्रपति ने भारत की ओर इशारा करते हुए बड़ा बयान दिया है। जिनपिंग ने रविवार को चेतावनी दी कि चीन को ‘बांटने’ की कोशिश करने वालों को बुरी तरह ‘मसल’ दिया जाएगा। जिनपिंग ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ वार्ता के दौरान यह बात कही। इसे जिनपिंग की ओर से नेपाल और भारत पर दबाव के रूप में माना जा रहा है। यहां पर दलाई लामा समर्थक तिब्बतियों की आवाजाही होती है।
जिनपिंग ने यह भी कहा कि ऐसी कोशिश करने वालों का साथ देने वाली बाहरी ताकतों को भी चीनी लोग चकनाचूर कर देंगे। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया। मगर इस बयान के जरिए उन्होंने भारत की ओर इशारा किया है,जिसने सर्वोच्च तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को शरण दे रखी है और तिब्बत की निवार्सित सरकार को भी मान्यता दे रखी है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रह रहे दलाई लामा को चीन विद्रोही की नजर से देखता है। 84 वर्षीय दलाई लामा लगातार तिब्बत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ते रहे हैं। नेपाल-तिब्बत सैकड़ों किलोमीटर लंबी सीमा के साथ जुड़े हैं। नेपाल में तिब्बत छोड़कर आए करीब 20 हजार शरणार्थी हैं, जो दलाई लामा के समर्थक हैं।हर साल तिब्बत से करीब दो से ढाई हजार लोग अवैध तरीके से नेपाल की सीमा में घुसकर दलाई लामा के दर्शन के लिए धर्मशाला पहुंचते हैं।
इस मामले को लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने कहा कि चीनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का वह समर्थन करते हैं। नेपाल एक चीन नीति के पक्ष में खड़ा है। दोनों नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा है कि ताइवान को नेपाल चीनी संप्रभु क्षेत्र का अटूट हिस्सा है।
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