ग्वालियर. जीएसटी लागू होने से पहले चलने वाले वैट अधिनियम के वर्ष 2016-17 और 2017-18 के मिलाकर करीब 2.75 लाख प्रकरणों का निराकरण बाकी है। इसके लिए सरकार ने अंतिम समय सीमा 30 सितंबर तय की है। बाकी बचे 16 दिनों में इन प्रकरणों का निराकरण हो पाना मुश्किल है, ऐसे में कर सलाहकार संगठन और व्यापारियों ने दोनों वर्ष के प्रकरणों के लिए तारीख बढ़ाने की मांग की है। संगठनों का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए 31 दिसंबर एवं 2017-18 के लिए 31 मार्च तय की जानी चाहिए।
इसलिए हो रही देरी
- डीम्ड योजना में व्यस्त रहने के कारण आवेदन प्रस्तुत नहीं किए जा सके।
- वर्ष 2016-17 तथा 2017-18 के कई ऐसे प्रकरणों में रियायती दर पर किए गए विक्रय के विरूद्ध आवश्यक घोषणा-पत्र फाम्र्स अभी तक नहीं मिले हैं।
- जल्दबाजी में कर निर्धारण आदेश से मुश्किल आएगी। टैक्स, ब्याज व पेनल्टी के रूप में बड़ी मांग निकलेगी।
तो कानूनी वाद बढ़ेंगे
एमपी टैक्स लॉ बार ऐसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विन लखोटिया नेे बताया कि चुनाव, जीएसटी के लगातार रिटर्न आदि कारणों के चलते विभागीय अधिकारी और कर सलाहकार, वकीलों के पास पुराने केसों का बोझ ज्यादा है और इन्हें हल करने में समय लगेगा। यदि विभाग समय सीमा नहीं बढ़ाता है तो इससे कानूनी वाद बढ़ेंगे।
सरकार लेगी निर्णय
ये बात सही है कि वर्ष 2016-17 और 2017-18 के वेट प्रकरणों का निराकरण बड़ी संख्या में किया जाना है। संभाग भर में करीब 20 हजार प्रकरण अभी भी लंबित होंगे। सरकार को तारीख बढ़ाने का निर्णय लिया जाना है।
- एम कुमार, ज्वाइंट कमिश्नर, जीएसटी राज्य कर
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