इस्लामाबाद। पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह कर रहा है।अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करने वाली संस्था फाइनेंशल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के साथ हाल ही में हुई अहम बैठक के बाद एक खुलासे से पाक बेनाब हो गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान आतंकी संगठनों के खिलाफ झूठे और कमजोर मामले दर्ज कर रहा है। यह सिर्फ दिखावा है।
कश्मीर मसले पर तिलमिलाई इमरान सरकार ने घर में बुलाई अहम बैठक
Pakistan lodging fake FIRs against terrorists to mislead FATF
— ANI Digital (@ani_digital) August 18, 2019
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मामला सही तरह से दर्ज नहीं किया गया
पाकिस्तान के गुमराह करने के सबूत तब सामने आए जब एक जुलाई को गुजरांवाला पुलिस में प्रतिबंधित दावत-वल-इरशाद के सदस्यों के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया गया था। यह भूमि सौदे का मामला था। गौरतलब है कि दावत-वल-इरशाद, लश्कर-ए-तैयबा का ही एक सहायक संगठन है। इसका प्रमुख आतंकी सरगना हाफिज सईद है। मगर विशेषज्ञों का कहना है कि कानून के अनुसार मामला सही तरह से दर्ज नहीं किया गया।
सूत्रों ने जानकारी दी है कि यह एफआईआर मोहम्मद अली की जमीन को आतंकी संगठनों को दिए जाने से जुड़ा है। मोहम्मद अली पुत्र सलीम अख्तर जो मलिकवाल शहर के रहने वाले हैं। उन्होंने ये सब जानते हुए किया। लश्कर-ए-तैयबा और दावत-वल-इरशाद दोनों एक प्रतिबंधित संगठन है और उनकी जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाएगा, इसके बावजूद यह जमीन उन्हें दी गई।
आतंकियों का एफआईआर में खुला जिक्र नहीं
एफआईआर में लिखा है कि मोहम्मद अली पुत्र सलीम अख्तर ने अपना अपराध कबूल किया है कि उन्होंने अपनी संपत्ति प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और दावत-वल-इरशाद को सौंपी है। जिसमें अब्दुल गफ्फार, हाफिज मसूद, अमीर हमजा, हाफिज सईद, मलिक जफर इकबाल को आतंकी फंडिंग के लिए अपनी संपत्ति देने की बात कबूली है।
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