ग्वालियर। मैं आपकी बात और समस्या सुन तो सकता हूं, लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं ले सकता हूं। निर्णय लेने का अधिकार तो कमिश्नर के पास ही है, जैसे ही यह बात नगर निगम कमिश्नर संदीप माकिन की अनुपस्थिति में उनकी जगह आए अपर आयुक्त आरके श्रीवास्तव ने परिषद में कही तो पार्षद भडक़ गए और जमकर हंगामा किया। भाजपा पार्षदों की मांग पर बुलाए गए विशेष सम्मेलन में निगम अधिकारी आए ही नहीं, और जो आए थे वह भी बिना तैयारी के पहुंच गए, जिससे पार्षदों का गुस्सा फूट पड़ा। सभापति ने भी नाराजगी जाहिर की और निगम अधिकारियों को निर्देश दिए कि अगली बैठक में कमिश्नर आवश्यक रूप से उपस्थित हों, नहीं तो कार्रवाई की जाएगी। अंत में शोक प्रस्ताव के बाद बैठक 24 जुलाई तक स्थगित कर दी गई।
शहर की मूलभूत समस्याओं पर चर्चा के लिए बुलाए गए विशेष सम्मेलन की शुरुआत हंगामेदार रही। बैठक में निगम कमिश्नर माकिन सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारी मौजूद नहीं थे। इस पर भाजपा पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया। सभापति राकेश माहौर ने कमिश्नर के अनुपस्थित रहने का कारण पूछा तो सचिव ने बताया कि वह अवकाश पर हैं, उनकी जगह पर अपर आयुक्त आरके श्रीवास्तव मौजूद हैं। बैठक जिन 8 ङ्क्षबदुओं पर बुलाई गई थी उन पर चर्चा ही नहीं हो सकी।
सभी पार्षद अपने क्षेत्रों की समस्याओं को लेकर हंगामा करने लगे। पार्षद जो सवाल कर रहे थे, उसका जवाब देने वाला अधिकारी कोई नहीं था।अपर आयुक्त श्रीवास्तव को किसी भी मामले की जानकारी नहीं थी, जिसके कारण मामला बिगड़ गया और पार्षद एकत्रित होकर सभापति के पास पहुंचकर हंगामा करने लगे।
अमृत की हो जांच
पार्षद दिनेश दीक्षित ने सभापति से कहा कि अमृत योजना के तहत जो कार्य किए जा रहे हैं, उनकी जांच होनी चाहिए। इसके लिए एक कमेटी बना दी जाए, जिसमें पार्षदों के अलावा रिटायर्ड अधिकारी भी शामिल हों और 7 दिन में जांच रिपोर्ट पटल पर रखी जाए। इसमें अगर कोई दोषी है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित ने कहा कि शहर के विकास के लिए चर्चा होनी चाहिए और अमृत में जो गड़बडिय़ां हुई हैं, उसकी विधिवत जांच होनी चाहिए।
कमिश्नर जवाब देने से बच रहे हैं
अभियाचित बैठक होने के बावजूद निगम कमिश्नर नहीं आए। उन्होंने परिषद के सचिव को जो पत्र भेजा है, उसमें 19 जुलाई को अवकाश पर रहने की बात कही है। जबकि संभागीय कमिश्नर को जो पत्र उन्होंने भेजा है, उसमें 19 जुलाई की शाम को शहर से बाहर रहने की बात कही है, जो दर्शाता है कि कमिश्नर परिषद में जवाब देने से बच रहे हैं। अगली बैठक में वह नहीं आए तो उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया जाएगा।
दिनेश दीक्षित, भाजपा पार्षद
विकास के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए
परिषद में भाजपा ने जिन बिंदुओं पर बैठक बुलाई थी उन पर चर्चा ही नहीं हुई। सभी पार्षद अपनी अलग बातों को लेकर हंगामा कर रहे थे। इस परिषद का 6 महीने से भी कम समय बचा है, इसलिए शहर विकास के मुद्दों पर सभी को गंभीरता से चर्चा करनी चाहिए।
कृष्णराव दीक्षित, नेता प्रतिपक्ष
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