शहर में एक अस्पताल ऐसा, जहां रात होते ही घर चले जाते हैं मरीज - Silver Screen

शहर में एक अस्पताल ऐसा, जहां रात होते ही घर चले जाते हैं मरीज

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ग्वालियर. स्वास्थ्य विभाग द्वारा शासकीय अस्पतालों की व्यवस्थाओं में सुधार लाने और मरीजों को बेहतर उपचार दिलाने के लिए हर साल करोड़ों का बजट खर्च किया जा रहा है, लेकिन अस्पताल के स्टाफ की मनमानी के कारण न तो व्यवस्थाओं में सुधार हो रहा है, न ही मरीजों को बेहतर उपचार मिल रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि विभाग द्वारा हर साल भेजा जा रहा बजट कहां खर्च होता है। हजीरा क्षेत्र स्थित शासकीय अस्पताल हर समय चर्चा में रहता है, क्योंकि यहां रात होते ही मरीज घर चले जाते हैं और उन्हें उपचार के लिए अगले दिन सुबह फिर अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। क्योंकि अस्पताल में रात में उपचार करने के लिए कोई भी मौजूद नहीं रहता है, स्टाफ भी गायब हो जाने से सन्नाटा पसर जाता है। इसका खुलासा एक्सपोज रिपोर्टर द्वारा अस्पताल में नाइट एट के दौरान पड़ताल करने पर हुआ।

हजीरा स्थित शासकीय अस्पताल में व्यवस्थाओं की पड़ताल के लिए रिपोर्टर द्वारा रात 10.30 बजे जायजा लिया गया। मेन गेट पर कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था, अंदर जाकर देखा तो अंधेरा पसरा हुआ था। वार्डों में पलंग खाली पड़े हुए थे। चिकित्सकों के कक्ष में भी कुर्सियां खाली पड़ी थीं। काफी देर अस्पताल में घूमने पर किसी भी कक्ष में कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं मिला, जबकि रात में अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी में चिकित्सकों को नियुक्त किया जाता है। रात में चिकित्सक कहां चले जाते हैं, इसकी जानकारी किसी को नहीं रहती है। रात में चिकित्सकों और अन्य स्टाफ के नदारद रहने के कारण आसपास के मरीजों को घर जाना पड़ता है। क्योंकि उन्हें रात में उपचार नहीं मिल पाता है, इसलिए वह भी घर चले जाते हैं और उपचार कराने के लिए अगले दिन फिर अस्पताल में पहुंच जाते हैं। इस तरह से रात में अस्पताल में सन्नाटा पसर जाता है और कोई भी व्यवस्था देखने वाला नहीं होता है।

 

रात करीब 11 बजे एक पुलिसकर्मी एक व्यक्ति की एमएलसी रिपोर्ट बनवाने के लिए अस्पताल पहुंचा, लेकिन उसे अस्पताल में कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं मिला। वह काफी देर तक इधर-उधर भटकता रहा, उसके द्वारा चिकित्सकों की तलाश की गई, लेकिन मौके पर कोई भी मौजूद नहीं था। ऐसे में पुलिसकर्मी और एमएलसी कराने के लिए आए व्यक्ति अस्पताल में कई घंटों तक इंतजार करते हुए परेशान होते देखे गए। काफी देर इंतजार करने के बाद पुलिसकर्मी और व्यक्ति अस्पताल में जाकर चिकित्सकों का इंतजार करते हुए बैठ गए।सुरक्षा के भी इंतजाम नहीं

रात करीब १11.10 बजे रिपोर्टर द्वारा अस्पताल परिसर का जायजा लिया गया, इस दौरान देखा कि वार्डों के समीप गैलरी और वार्डों के बाहर अंधेरा पसरा था। अस्पताल में सुरक्षा के लिए भी कोई इंतजाम देखने को नहीं मिले। अस्पताल में रात में पसरे अंधेरे और सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण भी मरीज अस्पताल में भर्ती होने से कतराते हैं। कई मरीजों का कहना है कि रात के समय अस्पताल में उपचार नहीं मिल पाता है, साथ ही सुरक्षा व्यवस्था भी नहीं रहती है तो फिर अस्पताल में भर्ती रहकर क्या करेंगे, इससे तो घर जाना ही अच्छा है।
बाहरी मरीजों को रहना पड़ता है मजबूरी में : रात 11.30 बजे अस्पताल के पिछले वार्ड में कुछ मरीज भर्ती मिले, जब उनसे पूछा गया कि दूसरे वार्डों में कोई भी मरीज नहीं है और आप लोग फिर कैसे भर्ती हो, तो उन्होंने बताया कि हमारा घर दूर है, जिस कारण ही हमें अस्पताल में भर्ती रहना पड़ रहा है। अगर हमारा घर भी पास में होता तो हम भी घर चले जाते, काफी देर से डॉक्टरों के आने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई भी डॉक्टर नहीं आया है। सुबह होने तक डॉक्टर का इंतजार करना पड़ेगा। जैसे ही डॉक्टर आएंगे तो हम उपचार कराकर चले जाएंगे।

व्यवस्था सुधारने के दिए जाएंगे निर्देश
- सभी शासकीय अस्पतालों में रात में इमरजेंसी में डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती है। अगर हजीरा स्थित अस्पताल में रात में डॉक्टर और स्टाफ गायब रहता है तो इस संबंध में जानकारी लेता हंू और संबंधितों को व्यवस्थाओं में सुधार के लिए निर्देश दिए जाएंगे, जिससे उपचार के अभाव में किसी भी मरीज को परेशान न होना पड़े।
मृदुल सक्सेना, सीएमएचओ



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