वाशिंगटन। ट्रंप-किम वार्ता फेल होने के बाद संयुक्त राज्य अमरीका ने अब उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों की नकेल कस दी है। अमरीका ने गुरुवार को दो चीनी शिपिंग कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया। इन पर आरोप था कि इन्होंने उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार कार्यक्रम पर प्रतिबंधों से बचने में उसकी मदद की थी। डालियान हैबो इंटरनेशनल फ्रेट कंपनी लिमिटेड और लियाओनिंग डैनक्सिंग इंटरनेशनल फॉरवर्डिंग कंपनी लिमिटेड नाम की इन दो कंपनियों ने उत्तर कोरिया को अमरीका और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचने में मदद की थी। अमरीकी ट्रेजरी विभाग ने 67 जहाजों को सूचीबद्ध किया था जिन पर आरोप था कि उन्होंने उत्तर कोरिया के टैंकरों के साथ परिष्कृत पेट्रोलियम का अवैध हस्तांतरण किया था।
नए प्रतिबंधों की घोषणा
वाशिंगटन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के बीच वार्ता असफल समाप्त होने के बाद इन प्रतिबंधों की घोषणा की है। उत्तर कोरिया द्वारा प्रतिबंधों से राहत पाने के लिए अपने परमाणु हथियारों को छोड़ने की मरीकी जिद के बाद दोनों देशों की वार्ता टूट गई थी। आपको बता दें कि संयुक्त राज्य अमरीका ने उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों को छोड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व किया है। नवीनतम प्रतिबंधों से इस बात का पता चलता है कि चीन द्वारा उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों को लागू करने में कुछ ढ़िलाई बरती जा रही है। बीजिंग ज्यादातर यूएन प्रस्तावों द्वारा पालन कर रहा है लेकिन उसकी कंपनियां चोरी-छिपे चीन की मदद करती हैं।
जारी रहेंगे प्रतिबंध
चीन की वित्तीय और शिपिंग कंपनियों द्वारा प्रतिबंधों का उल्लंघन करते पाए जाने पर अमरीका की यह बड़ी कार्रवाई हुई है।अमरीका के ट्रेजरी अधिकारी ने जोर देकर कहा कि गुरुवार की घोषणा कंपनियों पर दबाव बढ़ाने के बजाय उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों को लागू करने के लिए हैं। जब ट्रेजरी अफसर से पूछा गया कि क्या वाशिंगटन प्योंगयांग को पोस्ट-समिट संदेश भेजने की कोशिश कर रहा है, उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि उत्तर कोरिया के साथ बातचीत जारी रखने के लिए दरवाजा हरदम खुला है। उधर उत्तर कोरिया ने चेतावनी दी है कि वह भविष्य की बातचीत निलंबित करने पर विचार कर रहा है।
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