संयुक्त राष्ट्र में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों पर खुली बहस, ऐतिहासिक रही इस बार की बैठक - Silver Screen

संयुक्त राष्ट्र में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों पर खुली बहस, ऐतिहासिक रही इस बार की बैठक

Share This

संयुक्त राष्ट्र। जलवायु परिवर्तन की समस्या विश्वभर के लिए चिंता का सबब बन चुकी है। कई पर्यावरण और मानवाधिकार एजेंसियां लोगों के सामने इस मुद्दे को बार-बार उठाती चली आ रही हैं। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी ग्लोबल वार्मिग के प्रभावों को कम करने के लिए कार्रवाई का आह्वान किया। साथ ही परिषद ने जलवायु परिवर्तन के कारण शांति और सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा के लिए एक खुली बहस का भी आयोजन किया।

तीन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत

एक चीनी समाचार एजेंसी के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के राजनीतिक मामलों की प्रमुख रोजमेरी डिकार्लो ने शुक्रवार को बताया, 'जलवायु-संबंधी आपदाओं से जुड़े जोखिम भविष्य में होने वाली घटनाएं नहीं हैं, बल्कि यह असल में दुनिया भर के लाखों लोगों के सामने पहले से मौजूद हैं।' उन्होंने जलवायु परिवर्तन से संबंधित सुरक्षा जोखिमों को दूर करने के लिए पहले से ही सक्रिय रूप से प्रयास कर रहे संयुक्त राष्ट्र के राजनीतिक मिशन के विभिन्न तरीकों का हवाला दिया। इसके साथ ही उन्होंने जोखिमों का मूल्यांकन करने के साथ तीन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया।

पहली बार संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम संगठन को आमंत्रण

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रशासक एचिम स्टेनर ने भी फोन के जरिए अपने विचार साझा किए। पर्यावरणविद् स्टीनर ने भी इस दौरान कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से न केवल वातावरण को प्रभावित हो रहा है, बल्कि इससे जीवमंडल (बायोस्फेयर) भी प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व इस चुनौती से निपटने के लिए जरूरी कार्रवाई करने में अबतक असफल रहा है। गौरतलब है कि इस बार जलवायु और मौसम की गंभीर स्थितियों पर सुरक्षा परिषद के सदस्यों को जानकारी देने के लिए इतिहास में पहली बार संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) को आमंत्रित किया गया था।

75 सदस्यों ने लिया बैठक में हिस्सा

जानकारी के मुताबिक चर्चा के दौरान डब्ल्यूएमओ के मुख्य वैज्ञानिक पावेल काबात ने बहस में शामिल लोगों को जानकारी देने के लिए कुछ स्पष्ट वैज्ञानिक आंकड़े पेश करते हुए बताया, 'जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसानों की एक सूची काफी लंबी है। सबसे पहले तो इससे पोषण और भोजन तक पहुंच में कठिनाई, जंगल की आग के जोखिम, वायु गुणवत्ता की चुनौतियों और पानी के कारण होने वाले संघर्ष में वृद्धि, जिससे अधिक आंतरिक विस्थापन और पलायन के मामले सामने आ सकते है। ये समस्या तेजी से बढ़ता एक राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा है।' बताया जा रहा है कि बहस में सुरक्षा परिषद से और अन्य संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों से कम से कम 75 सदस्यों ने बैठक में भाग लिया, जिनमें से 13 मंत्री स्तर के हैं।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2RjnNti

No comments: