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माले। मालदीव सरकार ने इस मीडिया रिपोर्टों से इनकार कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि भारत ने इस द्वीप राष्ट्र में भारतीय सैनिकों की तैनाती के बदले मालदीव को 1 बिलियन अमरीकी डालर की पेशकश की थी। मालदीव के विदेश मामलों के मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि मालदीव के किसी क्षेत्र का उपयोग विदेशी सैन्य अड्डों की स्थापना के लिए नहीं किया जाएगा।

भारतीय सेना की तैनाती से इंकार

मालदीव में भारतीय सेना की तैनाती के बारे में आ रही मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए मालदीव के विदेश मामलों के मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने कहा, " हम इस आशय की मीडिया रिपोर्टों का स्पष्ट रूप से खंडन करते हैं। मालदीव की सरकार वित्तीय सहायता या अन्य भौतिक लाभों के बदले में मालदीव में भारतीय सैन्य आधार की स्थापना की अनुमति देने की योजना नहीं बना रही है। यह आधारहीन है और सरकार इसे अस्वीकार करती है। मालदीव शांति स्थापना करने के उद्देश्य से करने के उद्देश्य से अपने पड़ोसियों और बाकी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ अच्छे संबंधों का पुनर्निर्माण करने की तरफ अग्रसर है।" उन्होंने आगे कहा, "सरकार लोगों को आश्वस्त करती है कि यह हमेशा मालदीव के राष्ट्रीय हित में कार्य करेगी और वह किसी भी उस अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव का हिस्सा नहीं बनेगी, जो देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता से समझौता करता है।"

मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन

मालदीव के विदेश मामलों के मंत्री अब्दुल्ला शाहिद जापानी डेली निकी एशियन रिव्यु में प्रकाशित एक समाचार लेख पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। इसमें कहा गया था कि कहा गया था कि भारत ने मजबूत सुरक्षा संबंधों के बदले में मालदीव को 1 बिलियन अमरीकी डालर की पेशकश की थी। अब्दुल्ला शाहिद हाल ही में नई दिल्ली की आधिकारिक यात्रा पर थे, जहां उन्होंने अपने समकक्ष सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण सहित शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने भारत को एक भरोसेमंद साथी के रूप में वर्णित किया। उन्होंने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दिखाई है। विदेश मंत्री ने चीन को एक मित्र के रूप में याद किया और कहा कि वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जिसकी सहायता से मालदीव को लाभ हुआ था।



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