कारगिल विजय दिवस: इस तरह से पाकिस्तान के इन चार अधिकारियों ने रच डाली पूरी साजिश - Silver Screen

कारगिल विजय दिवस: इस तरह से पाकिस्तान के इन चार अधिकारियों ने रच डाली पूरी साजिश

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नई दिल्ली। कारगिल के युद्ध को जीतकर भारत ने पाकिस्तान को करारी हार दी थी। इस दिन को भारत में जहां विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है, वहीं पाकिस्तान में कारगिल युद्ध को गैंग ऑफ फोर की भयानक गलती के रूप में याद किया जाता है। इन चार उच्च अधिकारियों की गलती की वजह से इस युद्ध में पाकिस्तान के करीब 1200 सैनिक मारे गए थे। 26 जुलाई को हम विजय दिवस मनाते हैं। इसी ही दिन भारत ने पाकिस्तान को ऐसी करारी शिकस्त दी थी, जिसे इतिहास कभी भूला नहीं पाएगा।

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धोखे से कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के ये चार अधिकरी ही थे, जिसने इस युद्ध की साजिश रचि थी। इन्हें गैंग ऑफ फोर या डर्टी फोर भी कहा जाता है। साल 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने धोखे से कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया। मई से जुलाई 1999 तक भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय चलाकर न सिर्फ घुसपैठियों मार गिराया और उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया। इस युद्ध ने पूरी दुनिया में पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया।

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युद्ध भारत ने न सिर्फ एलओसी पर पाकिस्तान को हराया, बल्कि समुद्र में भी पाकिस्तान की नाकेबंदी कर दी। इससे उसका समुद्री व्यापार प्रभावित होने लगा। तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने माना कि अगर भारत के साथ युद्ध और आगे चलता तो उनके पास सिर्फ छह दिन का तेल बचा हुआ था। ऐसे में पाकिस्तान के लड़ाकू विमान ईंधन के आभाव में खड़े रह जाते और पाक सेना को घुटने टेकने पड़ जाते। इससे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा जाती।

 

 

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कौन थे पाकिस्तान के डर्टी फोर
जनरल परवेज मुशर्रफ, जनरल अजीज, जनरल महमूद और ब्रिगेडियर जावेद हसन यही वो चार शख्स थे जिन्होंने कारगिल युद्ध की पूरी योजना तैयार की। जनरल परवेज मुशर्रफ उस वक्त पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष थे, जो पूर्व में कमांडो रह चुके थे। जनरल अजीज चीफ ऑफ जनरल स्टाफ थे। अजीज ISI में भी रह चुके थे और उस दौरान उनकी जिम्मेदारी कश्मीर की थी।

यहां जेहाद के नाम पर आतंकवादियों को भारतीय सीमा में भेजकर कश्मीर में अशांति फैलाना उनका काम था। उनकी योजना थी कारगिल के बदले कश्मीर को अपनो अपने कब्जे करने की थी। उन्हें उम्मीद की भारतीय सेना के उसे कारगिल से हटाना काफी मुश्किल होगा। इस दौरान कश्मीर में भारत की पकड़ कमजोर होती और आतंकियों की मदद से वह वहां पर मारकाट मचा देता। इसके बाद वह अपनी मनमुताबिक मांगों को भारत से मंगवा सकता था।

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