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नई दिल्ली। बांग्लादेश के शिविर में रहने वाले लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों के वापस म्यांमार जाने पर संदेह बना हुआ है,क्योंकि उनमें से कोई अपने देश लौटना नहीं चाहता। बांग्लादेश के शरणार्थी आयुक्त ने यह जानकारी दी। म्यांमार में सेना की क्रूर कार्रवाई, हत्या, बलात्कार और आगजनी का मंजर देखने के बाद बांग्लादेश में शरण लेने वाले रोहिंग्या समुदाय के ये लोग वापस भेजे जाने के डर से इधर-उधर छिप गए हैं।

वापस भेजने पर अड़े

संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी के बावजूद अधिकारी इन्हें वापस भेजने पर अड़े हुए हैं। हालाकि,बांग्लादेश के शरणार्थी आयुक्त मोहम्मद अबुल कलाम ने 150 रोहिंग्या शरणार्थियों के पहले जत्थे को गुरुवार को वापस भेजने पर संदेह जताया है। बांग्लादेश की योजना कुल 2,260 शरणार्थियों को अभी वापस देश भेजने की है।

भारत में भी तैयारी हो रही

गौरतलब है कि म्यामांर सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान की पुष्टि के लिये अब सभी राज्य सरकारों से,शरणार्थियों की मूल भाषा के आधार पर नए सिरे से आंकड़े जुटाने को कहा है। इससे पहले,अक्टूबर 2017 के सिर्फ अंग्रेजी भाषा वाले प्रारूप के आधार पर अवैध शरणार्थियों की पहचान की गई थी। इसके लिये भारत में म्यामांर दूतावास ने अवैध शरणार्थियों की स्थानीय भाषा की जानकारी के आधार पर पहचान सुनिश्चित करने के लिए,दो भाषाओं वाले फॉर्म का प्रारूप केन्द्र सरकार को मुहैया कराया है। मगर यहां से भी शरणार्थी अपने देश जाने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार जबतक उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं लेती तब तक वह नहीं जाएंगे।



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